Mittal Gotra Sati: Shri Buchi Dadiji (Ringas)

Mittal Gotra Sati: Shri Buchi Dadiji (Ringas) मित्तल गोत्र सती : श्री बुची दादीजी (रींगस)

SATI DEVIYON KI JAI

Marwari Pathshala

4/27/20241 मिनट पढ़ें

मित्तल गोत्र सती : श्री बुची दादीजी (रींगस)

श्री बुची दादीजी का जन्म : वि. सं. 1690, भादवा सुदी दशमी के दिन, सीकर के धिंगपुर कैलास गाँव के सेठ श्री नानकराम जी के घर अग्रवाल (गर्ग गोत्र) में हुआ था। श्री बुची दादीजी के जन्म का नाम "शांति बाई" था । बाई का विवाह झुंझुनू जिल्ला, नवलगढ़ के परसरामपुरा गाँव के श्री नवलकिशोर जी मित्तल जी के साथ, वि. सं. 1710 मे 20 वर्ष के आयु मे हुआ था।

विवाह पश्चात श्री नवलकिशोर जी शांति बाई के साथ घोड़ी चढ़कर वापस नवलगढ़ के तरफ जा रहे थे, तब रींगस भेरुजी के पास जंगल मे नव-विवाहित जोड़ी पर डाकुओ ने हमला करदिया । उस हमले मे श्री नवलकिशोर जी वीरगति को प्राप्त हुए और शांति बाई के सारे गहने डाकुओ ने लूट लिए।

मृत पति को देख, आषाद बदी मावस के दिन श्री शांति माई ने उसी स्थान मे खुद को पति के चिता को सोपकर, पूरे विश्व को एक-पती परायण नारी का उदाहरण दिया।

लोकमान्यता अनुसार जब श्री शांति माई सती होरही थी, डाकुओ ने उनके सारे गहने लूट लेने के कारण उनके नाक-कान बुचे (सुने / खाली) रह गए थे, इसीलिए माई इस जगत मे "श्री बुची सती जी" के नाम से प्रख्यात हुई।