Poddar Sati: Shri Madal Dadiji (Lachhmangarh)

Poddar Sati: Shri Madal Dadiji (Lachhmangarh) पोद्दार सती : श्री मादल दादीजी (लछमनगढ़)

SATI DEVIYON KI JAI

Marwari Pathshala

4/27/20241 मिनट पढ़ें

पोद्दार सती : श्री मादल दादीजी (लछमनगढ़)

श्री मादल दादी का जन्म डीडवाना के सेठ श्री ब्रम्हदेव जी व माता शारदा जी के घर हुआ था । उनका विवाह झुंझुनू, नवलगढ़ के निकट खेड़ली गाँव के बंसल गोती पोद्दार परिवार में हुआ। आषाद कृष्ण एक्कम को मुकलावा करवाके बाराती डीडवाना से खेड़ली जारही थीं। पोद्दार परिवार के साथ मण जी नामक एक राजपूत श्री मादल बाई और उनके पति के सुरक्षा के लिए साथ थे ।

बीच रास्ते में बाराती लछमनगढ़ आगये, वहा उन्हें मुरारका व डोकवाल परिवार की बारात भी मिलगई। तीनो परिवार वही रात गुजारने का निश्चित करते है।

रात घिर आने पर एक धकुओ की सेना ने बारातियों पर हमला बोल्दिया, नव वधुओ को डाकुओ से बचाने, तीनो कुल के दूल्हे रण में उतर गए, धोके से तीनो कुल के लाडले मारे गए।

अपने पतियों को मृत देख देख श्री मादल, जेतल बाई, राजल बाई के साथ दुष्टदल का संहार करती है। युद्ध में मण जी सेवक बेहोश हो जाते हैं।

आषाद कृष्ण पक्ष की तीज को श्री मादल बाई, जेतल बाई, राजल बाई लछमनगढ़ के भूमि में सती होगई थीं।

जब मण जी सेवक को चेतनता आई, वो इस घटना से बहुत दुखी होते हुए, श्री मादल दादीजी के चिता में कुद जाते हैं।

आज लछमनगढ़ में तीनो सतियो का मण्ड एक ही साथ बना हुआ हैं, श्री मादल दादी के साथ राजपूत मण जी सेवक का भी चबूतरा बना हुआ है।