अति सीतल म्रिदु वचन सूं, क्रोध अगन बुझ जाय। ज्यों ऊफणतै दूध नै, पाणी देय समाय।।

अति सीतल म्रिदु वचन सूं, क्रोध अगन बुझ जाय। ज्यों ऊफणतै दूध नै, पाणी देय समाय।।

MARWARI KAHAWATE

MARWARI PATHSHALA

10/27/20241 min read

अति सीतल म्रिदु वचन सूं, क्रोध अगन बुझ जाय।
ज्यों ऊफणतै दूध नै, पाणी देय समाय।।

‘‘अत्यन्त शीतल और मधुर-मृदुल वचनों से अगले व्यक्ति की क्रोध रूपी आग बुझ जाती है। ठीक वैसे ही जैसे उफनते हुए दूध को पानी शांत कर देता है।’’

गांव ठाकुर की एक बहन थी जो बाल विधवा थी। वह बड़ी झगड़ालू थी और अपने भाई के घर ही रहा करती थी। वह सबेरे ही गांव की स्त्रियों से झगड़ा करने के लिए निकल जाती और बिना मतलब कलह करके शाम को घर आ जाती।गांव के लोग उसके कारण बड़े तंग थे। आखिर उन लोगों से कहा नहीं गया और सब मिलकर ठाकुर साहब के पास पहुंचे। उन्होंने ठाकुर से प्रार्थना की कि किसीतरह बुआजी को रोका जाए, हम बहुत ही परेशान हैं। ठाकुर ने उनकी बात सुनकर कहा कि मैं स्वयं इसके कारण बहुत हैरान हूं, लेकिन कोई उपाय नहीं सूझता। या करू? आखिर सब गांव वालों ने मिलकर सलाह-मशविरा किया और एक योजना बनाई कि बुआजी नित्य बारी-बारी से एक-एक घर में जाया करें और वहीं कलह कर लिया करें। गांव में तीन सौ साठ घर थे, अत: प्रत्येक घर की बारी एक वर्ष में आने लगी और गांव के लोगों को राहत मिली। समयबीतता रहा । एक दिन जिए जाट के घर में बुआजी के आने की बारी भी उसीदिन जाट के बेटे की बहू गौना लेकर आई थी। लेकिन उसकी सास इस बात से बहुत चिंतित थी कि आज ही वह दुष्टा भी कलह करने के लिए आएगी। बहू नेसास को चिंता में पड़े देखा तो पूछा कि या बात हैं? तब सास ने सारी बात उसे बताई। सारी बात जानकर बहू ने घर के सब लोगों को खेत पर भेज दिया औरबोली कि आज मैं बुआजी से स्वयं निपट लूंगी। सब लोग तो खेत पर चले गए और घर में बहू अकेली रह गई। बहू आंगन में बैठ गई और चरखे पर सूत कातनेलगी। आखिर बुआ वहां आ ही गई। बुआ ने बकवास करनी शुरू की, लेकिन बहू एक शद भी नहीं बोली। बुआ ने उसे उकसाने की बहुत कोशिश की।बुआजी चाहती थी कि बहू उससे बराबर लड़े और दोनों का वाक् युद्ध शाम तक चलता रहे तब आनंद आए। लेकिन बहू के न बोलने से वह जल्दी ही परेशान हो गई और बहू से बोली कि आज तू जीती और मैं हारी। आज से मैं कलह नहीं किया करूंगी। तब उठकर बहू बुआजी के पांवों लगी और बोली कि जीती तो आप ही हैं, मैं तो आपकी सेविका हूं। मुझे तो आपका आशीर्वाद चाहिए। उसी दिन से बुआ ने गांव में जाना और कलह करना बंद कर दिया।