कुण किसी को देत है, करम देत झकझोर। उळझै-सुळझै आप ही, धजा पवन के जोर।।

कुण किसी को देत है, करम देत झकझोर। उळझै-सुळझै आप ही, धजा पवन के जोर।।

MARWARI KAHAWATE

MARWARI PATHSHALA

10/27/20241 min read

कुण किसी को देत है, करम देत झकझोर।
उळझै-सुळझै आप ही, धजा पवन के जोर।।

इस संसार में कौन किसको देता है, देता है तो भाग्य देता है और भाग्य जब देता है तो झकझोर कर ही देता है। भाग्य रूपी पवन के बल पर ही जीवन रूपी ध्वजा उलझती सुलझती है।

एक लकड़हारा जंगल में लकडी काटने गया तो उसे एक टोकरी में एक रोती हुई छोटी बच्ची मिली। उसने लडकी को उठा लिया और अपने घर ले आया। उसके कोई संतान नहीं थी अत: वह और उसकी पत्नी उसे अपनी बेटी की तरह पालने लगे। उसके शील, स्वभाव और सुंदरता के कारण सब लोग उसे लक्ष्मी कहकर पुकारते थे। जिस दिन से वह कन्या लकड़हारे के घर में आयी, हर काम में बरकत होने लगी। धीरे धीरे लक्ष्मी अठारह वर्ष की हो गई। वह देखने में अप्सरा सी मालूम होती थी। एक दिन जब वह जंगल में गायचरा रही थी, तो एक घुड़सवार शिकार खेलता हुआ उधर आ निकला। उसने लक्ष्मी को देखकर पानी मांगा। लक्ष्मी ने कहा कि यहां तो पानी है नहीं। मेरा घर गांव में हैं, वहां चलिए। घर पहुंचकर लक्ष्मी ने मां से कहा कि मां, यह मुसाफिर रास्ता भूल गया था और बहुत प्यासा था। मैं इसे साथ लाई हूं कि इसे पानी पिला दूं। लकड़हारे की स्त्री ने मुसाफिर को देखा तो उसकी आंखें खुली की खुली रह गई। वह सवार कोई राजकुमार मालूम होता था। वह बहुमूल्य घोड़े पर सवार था और उसके कपड़ों में हीरे जवाहरात जड़े हुए थे। लक्ष्मी ने उसेपानी का लोटा दिया। उसने पानी पिया और लक्ष्मी की ओर एकटक देखता रहा।थोडी देर बाद वह वहां से चला गया। वह घुड़सवार वास्तव में राजकुमार ही था। लक्ष्मी को देखकर वह उस पर मोहित हो गया और उस पर यह धुन सवार हुई कि वह उसी लडकी से विवाह करेगा। इसी चिंता में वह बीमार पड़ गया।महाराज को बडी चिंता हुई। मंत्री का पुत्र राजकुमार का मित्र था। उसने अपने पिता के रोग का कारण बता दिया। मंत्री भी सोच में पड़ गया। उसने अपने बेटे से कहा कि मुझे उस लकड़हार के गांव में ले चलो। मैं उस लडकी को स्वयं देखना चाहता हूं। मंत्री और उसका पुत्र दोनों देहातियों का वेश बनाकर लकड़हारे के गांव में पहुंचे। उस समय रात हो गई थी। मंत्री ने एक किसान से पूछा कि या इस गांव में कोई चौपाल है? किसान ने कहा कि यहां कोई चौपाल नहीं है। लेकिन यहां एक लकड़हारा रहता है, जो बड़ा मालदार है। जो यात्री इस गांव में आता है, उसी के यहां ठहरता है। मंत्री लकड़हारे के घर पहुंचा।उसने जब लडकी को देखा तो उसे विश्वास हो गया कि यह लडकी किसी साधारण वंश की नहीं है, बल्कि उच्च घराने की है।

लकड़हारे की लडक़ी मंत्री को घर के अंदर ले गई।लकड़हारे ने बड़े प्रेम से उन्हें भोज कराया। भोजन के बाद बातें होती रही। लेकिन मंत्री यह नहीं समझ सका कि यह लडक़ी जंगल में कैसे आई? दूसरे दिन मंत्री और उसका पुत्र वापस लौट आए। एक दिन अचानक यह खबर फैली कि एक बड़ा पहुंचा हुआ साधुनगर में आया है। राजा ने भी यह खबर सुनी। उसने मंत्रीसे कहा कि साधु के पास जाकर राजकुमार को अच्छा करने का उपाय पूछकर आओ। मंत्री साधु के पास पहुंचा और सारी बात बताकर उसने प्रार्थना की कि महाराज, राजकुमार के रोग का कोई इलाज बताइए। उसकी बीमारी के कारण सारे राज्य में उदासी छायी हुई है। कुछ देर सोचता रहा, फिर सोचकर बोला किराजकुमार अच्छा हो जाएगा, लेकिन उसे लकड़हारे की लडकी से विवाह करनाहोगा। मंत्री ने कहा कि महाराज यह कैसे हो सकता है कि राजकुमार लकड़हारे की लडकी से विवाह करे? साधु ने क्रोधित होकर कहा कि और कोई बात हमनहीं बताएंगे। यह सारा रहस्य समय आने पर खुल जाएगा। मंत्री दरबार में गया और राजा को सब हाल कहकर सुनाया। जब कोई और चारा नहीं रहा, तब राजाने लकड़हारे के घर खबर भेजी कि अपनी पुत्री का विवाह राजकुमार से कर दे।लकड़हारे ने उतर दिया कि मुझे इसमें कोई आपत्ति नहीं है। लकड़हारे की लडकीका विवाह राजकुमार के साथ बडी धूमधाम से हो गया। एक वर्ष बाद राजकुमारके एक लडका हुआ। राज्य में खुशियां मनाई गई। जब उत्सव हो रहा था तो वही साधु दरवाजे पर आया। रानी ने उसका स्वागत किया। साधु ने रानी से कहा किबच्चे को मेरे पास लाओ। रानी ने बच्चा साधु की गोद में बैठा दिया। साधु नेलकड़हारे की वास्तविकता बताई। कहा कि यह लडकी लकड़हारे की नहीं, राजा की पुत्री है। फिर उसने विस्तार से कहा कि किस तरह यह लकड़हारे की मां अर्थातबडी रानी मर गई थी। बाद में छोटी रानी ने षडयंत्र रचा और हत्यारों को उसे मारनेके लिए चुपचाप सौंप दिया। लेकिन हत्यारों ने इसे मारा नहीं, जंगल में एक टोकरीमें छोड़ दिया। फिर यह लकड़हारे को मिल गई। इतना कहकर साधु चला गया।राजा को जब यह पता चला तो बड़ी खुशियां मनायी गई।

सार - इस संसार में भाग्य ही सबसे बड़ा बलवान होता है और भाग्य के समान और कोई नहीं होता है। भाग्य से ही मनुष्य को घर बैठे सुख प्राप्त होता है और भाग्य से ही औरों को भी सुख प्राप्त होता है। चाहे जितनी मेहनत कर लो, चाहे जितनी बुद्धि काम में ले लो भाग्य के बिना सब बेकार है।