गुणवालो संपत्तिल है, लहैन गुण बिन कोय। काढ़े नीर पताल सूं, जे गुण घट में होय।।
गुणवालो संपत्तिल है, लहैन गुण बिन कोय। काढ़े नीर पताल सूं, जे गुण घट में होय।।
MARWARI KAHAWATE
MARWARI PATHSHALA
10/27/20241 min read
गुणवालो संपत्तिल है, लहैन गुण बिन कोय।
काढ़े नीर पताल सूं, जे गुण घट में होय।।
‘‘संसार में गुणवान व्यक्ति ही संपत्ति अर्जित करता है, बिना गुण ज्ञान वाला यानी गुणहीन व्यक्ति संपत्ति को गमाता यानि केवल व्यर्थ करता है। जिसमें गुण होता है तो वह पाताल से भी पानी निकाल लेता है।’’
एक बार एक राजा अपनी मंत्री सहित जंगल में शिकार करने जा रहा था।वर्षा बहुत अच्छी हुई थी और एक बूढ़ा किसान खेत में हल चला रहा था। राजा ने उससे पूछा कि चौधरी, वर्षा कैसी हुई? तब किसान ने कहा कि वर्षा घूरे पर ही हुई। यह उत्तर सुनकर राजा ने उसे दो सौ रूपये इनाम के दिए। मंत्री को बड़ा आश्चर्य हुआ कि किसान ने बेहूदा जवाब दिया है और फिर भी राजा ने उसे इनाम दिया है। उसने राजा से इसका कारण पूछा तो राजा ने कहा कि फिर कभी बतलाएंगे। कुछ दिन बाद राजा ने मंत्री से पूछा कि गोह के कितने बच्चे होते है? मंत्री की समझ में कुछ नहीं आया तो उत्तर देने की मोहलत मांगी। राजा ने मोहलत दे दी। मंत्री ने सोचा कि अब क्या किया जाए? तभी उसे उस किसान का ध्यान आया। शायद वह किसान यह बता सकता है। मंत्री उस किसान के पास गया तो किसान ने उससे पांच सौ रूपये लेकर कहा कि गोह के बारह बच्चे होते हैं। मंत्री ने लौटकर राजा से एकसा ही कह दिया। तब राजा ने फिर पूछाकि उनमें से कितने कमाते हैं और कितने खाते है? तब मंत्री फिर उस किसान के पास गया और किसान ने उससे एक हजार रूपये लेकर कहा कि चार कमाते है और आठ खाते हैं। मंत्री ने आकर राजा से वैसा ही कह दिया। राजा ने फिर पूछा कि कौन-कौन से कमाते है और कौन कौन से खाते है? मंत्री फिर उसी किसान के पास गया और किसान ने उस से दो हजार रूपये लेकर बताया कि आषाढ, श्रावण, भादो और वार कमाने वाले है और कार्तिक मार्गशीर्ष, पौष,माघ, फाल्गुन चैत्र, वैशाख और ज्येष्ठ खाने वाले हैं। मंत्री ने कहा कि ये तो महीनों के नाम हैं। तब मंत्री ने राजा के पास आकर वैसे ही कह दिया। राजा जानता था कि मंत्री उसी किसान से बार-बार पूछकर आता है। तब उसने मंत्री से कहा सच-सच बताओ कि तुमने किसान को कितने रूपये दिए हैं ? मंत्री के बताने पर राजा ने कहा कि उस दिन किसान ने ठीक ही तो कहा था कि वर्षा घूरेपर हुई है, अर्थात मेरे पुत्रियां ही पुत्रियां हैं, पुत्र एक भी नहीं, अत: मुझे इस बुढापे में हल चलाना पड़ता है और मैंने उसे दो सौ रूपये दिए थे तो तुमहे यह बात बहुत अखरी, लेकिन अब तुमने उसे इतने रूपये भला क्यों दिए? मैंने उसके ज्ञान और गुण के कारण उसे इनाम दिया था। इंसान अपने गुण और ज्ञान से ही धन अर्जित कर सकता है। ज्ञान के अभाव में तुमने अपने इतने पैसे गवा दिये।

