Dalmiya Sati: Shri Nanu Dadiji (Suhasada)
Dalmiya Sati: Shri Nanu Dadiji (Suhasada) डालमिया सती : श्री नानू दादीजी (सुहासडा)
SATI DEVIYON KI JAI
Marwari Pathshala
4/27/20241 min read
डालमिया सती :श्री नानू दादीजी (सुहासडा)
नानू बाई का जन्म सम्बत 1528, चैत्र शुक्ला बारस, मंगलबार, हरियाणा के डालमा गांव के सेठ मनीरामजी और माता मानिदेवी के घर हुआ था।
उनका विवाह सम्बत 1542, फाल्गुन शुक्ला द्वितीय के दिन सेठ सतप्रकाश जी के पुत्र श्री तेजपाल जी के साथ सम्पन्न हुआ था । सम्बत 1546, बसंत पंचमी के दिन नानू बाई का मुकलावा किया गया, उसी समय नानू बाई के पिताजी ने एक डोम दम्पति को उनके साथ दास बनाकर भेजा ।
सम्बत 1550 माघ महीने में नानू बाई ने एक पुत्र को जन्म दिया। एक दिन कुछ (यवन नरभक्षी) श्री तेजपाल जी के गायों को मारने आ पहुंची । गाऊवो की रक्षा करते करते तेजपाल जी और उनके डोम सेवक वीरगति को प्राप्त हुए । तव नानू बाई ने अपने पुत्र को डोमिनी मैया को सौप दिया और मंगल उत्सव में ढोलक के साथ पूजी जाने का वरदान डोमिनी मैया को दिया।
वि. सं. 1551, शनिवार (चैत्र शुक्ला बारस) के दिन नानू बाई श्री तेजपाल जी के साथ अग्नि में लीन होगई।
पुत्र को ढोलक में छुपाकर डोमिनी मैया डालमा से सुहासड़ा गाँव आगयी। वह पुत्र बड़ा होने पर 'डालमिया' कहलाया, और माँ नानू के आदेश पे माँ का मंदिर सुहासड़ा में बनावया गया।
Dalmiya Sati: Shri Nanu Dadiji (Suhasada)
Nanu Bai was born in Sambat 1528, Chaitra Shukla Baras, Mangalbar, Haryana to Seth Maniramji and Mata Manidevi of Dalma village.
Her marriage took place in Sambat 1542, on the day of Falgun Shukla II, with Shri Tejpal ji, son of Seth Satprakash ji. Sambat 1546, on the day of Basant Panchami, Nanu Bai was married, at the same time Nanu Bai's father sent a Dom couple with her as slaves.
In the month of Sambat 1550 Magh, Nanu Bai gave birth to a son. One day some (Yavana cannibals) came to kill Shri Tejpal ji's cows. While protecting the cows, Tejpal ji and his Dom Sevak attained martyrdom. Then Nanu Bai handed over her son to Domini Maiya and gave the boon to Domini Maiya to be worshiped with Dholak in the Mangal Utsav.
Vikram Sambat On Saturday, 1551 (Chaitra Shukla Baras), Nanu Bai got immersed in the fire along with Shri Tejpal ji.
Domini Maiya, hiding her son in a drum, came from Dalma to Suhasada village. When the son grew up, he was called 'Dalmia', and on the orders of mother Nanu, the mother's temple was built in Suhasada.