Gogaji Jaharveer Maharaj - (in Marwari)

Gogaji, also known as Gogaji Jaharveer Maharaj, is a folk Hindu deity in northern India. He is worshipped in the northern states of India especially in Rajasthan, Himachal Pradesh, Haryana, Uttarakhand, Punjab region, Uttar Pradesh, Jammu and Gujarat. He is a warrior-hero of the region, venerated as a saint and a protector against snake bites.

LOK DEVTAO KI JAI

MARWARI PATHSHALA

11/15/20241 min read

Gogaji

गोगाजी चौहान (जहरवीर) राजस्थान रा एक लोकदेवता है जिणनै जहर वीर रै नाम सूं भी जाणीजै है। गोगामेडी राजस्थान का हनुमानगढ़ जिले का एक शहर है। अठै भदों कृष्ण पक्ष री नवमी माथै भगवान गोगाजी रो मेलो लागै है। हिंदू, सिख अर मुसलमानां रै मांय बां रो आदर है। गुजरात मांय रेबारी जात रा लोग गोगाजी नै गोगा महाराज कैवै। वे आपरै गुरु गोरक्षनाथ जी रै आशीर्वाद सूं जलम लिया जद वे आपरी मां रै गर्भ मांय 6 महीना रा हा, बां आपरी मां सूं बात करी।

गोगाजी गुरु गोरखनाथ रा महान शिष्य हा। विक्रम संवत १००३ में चूरू जिले रै ददरेवा (दत्तखेड़ा) गांव रै एक गणमान्य परिवार में जलम लियो। सगळा धरम अर सम्प्रदाय रा लोग दूर-दूर सूं प्रणाम करण सारू आवै। कायम खानी मुस्लिम समुदाय उणनै जहर पीर कैवै है अर उक्त स्थान माथै प्रणाम अर मन्नत करण सारू आवै है। इण तरै सूं ओ स्थान हिंदू, सिख अर मुस्लिम री एकता रो प्रतीक है। मध्यकालीन वीर पुरुष जहरवीर गोगाजी महाराज विविध संप्रदायों रो सम्मान अर्जित करियो अर पीर नाम सूं प्रसिद्ध धर्मनिरपेक्ष लोकदेवता रै रूप में प्रसिद्ध हुया। राजस्थान रै ददरेवा (चूरू) चौहान वंश रा शासक जयबरजी (राजा जावरसिंह) री पत्नी बछल कंवर रै कोख सूं गुरु गोरखनाथ रै आशीर्वाद सूं भादो बड़ी नवमी नै गोगाजी रो जलम हुयो। वे चौहान वंश रा सबसूं बहादुर अर प्रसिद्ध राजा हा। गोगाजी रो राज सतलुज सूं येसी (हरियाणा) तांई फैल्योड़ो हो।

आम धारणा अर लोक कथावां रै मुजब गोगाजी नै नागां रा देवता रै रूप में भी पूज्यो जावै है। लोग बांनै गोगाजी, गुग्गा वीर, जाहिर वीर, राजा मंडलिक अर जहर पीर नांव सूं भी पुकारै है। वे गुरु गोरक्षनाथ रा मुख्य शिष्यां मांय सूं एक हा। राजस्थान रै छ: सिद्धां मांय गोगाजी नै समै री दीठ सूं पैलो मानीजै।

गोगादेवजी रो जलम भूमि जयपुर सूं करीब 250 किलोमीटर दूर राजगढ़ रै कनै दतखेड़ा (दद्दरेवा) है। दत्तखेड़ा चूरू रै अंतर्गत आवै है। गोगादेव रो घोड़ां रो अस्तबल आज भी उणरै जलमभोम माथै है अर सैंकड़ां बरसां बीतग्या पण उणरै घोड़ै री रकाब अजै ई बठै मौजूद है। उक्त जन्मस्थल पर गुरु गोरक्षनाथ का आश्रम भी है और घोड़े पर सवार गोगादेव की मूर्ति भी है। श्रद्धालु इण स्थान माथै कीर्तन जपता थका आवै है अर जळम भूमि माथै बण्योड़ा मिंदर माथै प्रणाम कर मनोकामना करै है। नाग काटण सूं मुक्ति सारू आज भी गोगाजी री पूजा करी जावै है। गोगाजी रै प्रतीक रै रूप में पत्थर या लकड़ी माथै नाग री मूरत उकेरी जावै है। अठै आ मानता है कै नाप काटण सूं पीड़ित मिनख नै गोगाजी री दवाई में ल्यायो जावै तो बो मिनख नाग रै जहर सूं मुक्त हुय जावै। भादवा मास रै शुक्ल पक्ष अर कृष्ण पक्ष रै नवमी दिवसां माथै गोगाजी री स्मृति में मेळा रो आयोजन कियो जावै है। हिंदू इणनै गोगा वीर अर मुसलमान गोगा पीर कैवै है।

हनुमानगढ़ जिले रै नोहर भादरा उपमंडल में स्थित गोगाजी रो पावन धाम गोगामेड़ी गोगाजी रै जलम स्थान सूं लगैटगै 80 किलोमीटर री दूरी माथै है, जो साम्प्रदायिक समरसता रो अनूठो प्रतीक है, जठै एक हिंदू अर एक मुस्लिम पुजारी खड़्या है। श्रवण शुक्ल पूर्णिमा सूं भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा तक वीर गोगाजी री समाधि अर गोगा वीर अर जाहिर वीर री जयकारां सूं गोगाजी अर गुरु गोरक्षनाथ कानी गोगा मेड़ी रै मेळा में भक्ति री निरंतर धारा बहै। भक्त गुरु गोरक्षनाथ रै टीबै माथै जा'र सिर झुकावै, पछै गोगाजी री समाधि में आ'र ढोक/धोक अर्पित करै। हर साल गोगा जी रै मिंदर में लाखों लोग प्रणाम अर लाठी री विशेष पूजा करै है।

सांचौर (जालौर) री किलौरिया की ढाणी में 'गोगाजी की ओळड़ी' नांव री जगै गोगाजी रो मिंदर है |

प्रदेस री लोक संस्कृति मांय गोगाजी रो अणमाप आदर मानता थकां कैयो गयो है कै हरेक गांव मांय खेजाड़ी रो आदर्श व्यक्तित्व अर हर गांव मांय गोगा वीर गोगाजी सदैव भक्तां रै आकर्षण रो केन्द्र रैयो है।

गोरखटीला में भक्त गुरु गोरक्षनाथ की प्रार्थना कर आपणी मनोकामना की प्रार्थना करे है। विद्वान अर इतिहासकार उणां रै जीवण नै वीरता, धरम, वीरता अर उच्च जीवन आदर्शां रो प्रतीक मान्यो है। लोक देवता जहरवीर गोगाजी रै जन्मस्थली ददरेवा में भादवा माह रै दौरान मेळा रो आयोजन होवा रै मद्देनजर पंचमी (सोमवार) नै श्रद्धालुओं री संख्या में और वृद्धि हुई। राजस्थान रै अलावा जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, गुजरात समेत विभिन्न प्रांतों सूं श्रद्धालु इण मेळा में आ रैया है।

ददरेवा में भक्त आवै है अर न केवल धोक आद करै है बल्कि वठै रै अखाड़ा (समूह) में बैठ'र गुरु गोरक्षनाथ अर शिष्य जहरवीर गोगाजी री जीवनी सूं कहाणियां आप-आप री भासावां में गावै अर सुनावै। संदर्भ मुजब जीवनी बखाणता बगत वाद्य यंत्रां मांय दारूण अर कांसी कचौला खास तौर सूं बजाया जावै। इण दौरान अखाड़ा रा एक जात्रु आपरै सिर अर शरीर माथै पूरी ताकत सूं लोह री जंजीर मारै है। मान्यो जावै है कै आ बात गोगाजी संकलाई रै आगमन सूं करी जावै है। गोरखनाथ जी सूं जुड़ी एक कथा राजस्थान मांय घणी चावी है। राजस्थान रा महापुरुष गोगाजी रो जलम गुरु गोरखनाथ रै आशीर्वाद सूं हुयो। गोगाजी री मां बचल देवी निसंतान ही। टाबर पैदा करण री पूरी कोसिस करियां पछै भी उणनै टाबर पैदा करण रो सुख नीं मिल्यो। गुरु गोरखनाथ 'गोगामेड़ी' रै टीबै माथै तपस्या कर रैया हा। बछल देवी उणां रै कनै शरण लेवण नै गई अर गुरु गोरखनाथ उणनै पुत्र पैदा करण रो आशीर्वाद दियो अर प्रसाद रै रूप में गुग्गल नांव रो फल दियो। प्रसाद खायां पछै बछल देवी गर्भवती हुयगी अर इणरै बाद गोगाजी रो जलम हुयो। गुग्गल फल रै नाम सूं इणां रो नांव गोगाजी राख्यो गयो। गोगा जी अर तुर्की आक्रमणकारियां रै बीच युद्ध गोगा जी आपरै चचेरे भाई अर्जन चौहान अर सुरजन चौहान रै साथै किणी जमीन रै शासन नै लेय'र झगड़ो कर रिया हा। अर्जन सुरजन दूजा बिरादरी री फौज नै वांरै खिलाफ ल्यायो। आं आक्रमणकारियां आपरी गायां नै घेर ली, जिणरै खिलाफ गोगाजी लड़ियो।

गोगाजी युद्ध रै मैदान में हरेक जगां दीखै हा क्यूंकै वै फुर्तीला अर युद्ध में निपुण हा। उणरी चाल नै देख महमूद गजनवी कैयो हो कै वो 'जहिरा पीर' है यानी वो असली देवता री तरै दीखै है। इण कारण वै ‘जहर पीर’ रै नांव सूं भी चावा है (केई लोग जहर पीर नै भगवान नरसिम्ह री वीरता सूं जोड़ै है) राजस्थानी लोक कथा रै मुजब वै आपरै 47 पुत्रां अर 60 भतीजां रै सागै रणभूमि में शहीद हुया। उत्तर प्रदेश मांय भी बांनै 'जहरपीर' रै नांव सूं जाणीजै है। मुसलमान इणनै 'गोगापीर' कैवै। गोगाजी तुर्की आक्रमणकारियां (महमुद गजनवी) सूं गायां अर देस री रक्षा रै वास्तै आपरो प्राण कुर्बान कर दियो। राजस्थान रो किसान बरसातां पछै जोतण सूं पैली हल अर हल दोनूं सूं गोगाजी रै नांव री राखी 'गोगा राखरी' बांधै। गोगाजी रो 'थान' खेजड़ी पेड़ रै हेठै है, जठै मूरत पत्थर माथै उकेरियोड़ो सांप है। इणी वास्तै बगड़ मांय एक कहावत है कै 'गोगो गांव-गांव गयो। मान्यो जावै है कै चूरू जिलै मांय रणखेत मांय लड़तां थकां गोगाजी रो माथो जठै पड़्यो उण जगै नै ‘शीश मेडी’ अर लड़तां बगत जिण जगै री लास पड़ी उण जगै नै ‘गोगामेड़ी’ कैवै। गोगाजी रै जलम स्थान ददरेवा नै 'शिरश मेड़ी' अर मकबरा स्थान 'गोगा मेड़ी' (भाद्रा-हनुमानगढ़) नै 'धुरमेड़ी' भी कैवै है।

गोगाजी कोन थे ?

गोगाजी री एक कथा है जिण नै भगत समैया विविध लोकगीतां अर गोगाजी रै जागरण में गायो है।

कथा रै मुजब पांडवां मांय सूं एक पांडव अर्जुन रो नांव हो जिणरो नांव परीक्षित हो एक बार कलयुग राजा परीक्षित रै सिर माथै उतरियो, फेर शिकार रै बगत राजा वन मांय कलयुग रै प्रभाव मांय आयो अर परिस्थितियां रै कारण ऋषि शमिक। उणरै एक सवाल रो जवाब नीं दे सक्यो, इण कारण ऋषि रै गळै रै आसै-पासै एक मरेड़ो सांप राख दियो गयो। परीक्षित रै इण कृत्य सूं अणजाण ऋषि रै बेटै ‘श्रुंगी’ नै जद इण बाबत ठाह पड़ियो तो उणां श्राप दियो कै जिण म्हारै पिताजी रै गळै में मरियोड़ो सांप घाल्यो है, उणनै ‘तक्षक’ नाप काट’र संसार में भेज दियो जावैला। आज सूं सातवें दिन मौत रो । जद राजा नै इण बात री जाणकारी हुई तो उण आपरै वास्तै एक सप्तल प्रसाद (महल) बणवायो, पण कड़ी सुरक्षा रै पछै भी तक्षक सांप महल मांय घुसग्यो अर सातवें दिन राजा नै काट दियो। केई बगत पछै जद राजा परीक्षित रै बेटै जनमेजय नै ठाह लाग्यो कै उणरै पिता नै तक्षक काट दियो है तो उण सरपदमान यज्ञ रो आयोजन करियो जिणरै कारण यज्ञ में सगळा सांप राख में बदलण लाग्या इणरै बाद आस्तिक रै भलै प्रयासां रै कारण। , मां मनसा देवी के बेटे, नागों की जान बचाई गई। किंवदंती है कै जद राजा जन्मेजय री मौत हुई तो नागां जन्मेजय री आत्मा नै पाताल लोक में पकड़ ली ही, जद माता बछल गुरु गोरखनाथ जी री सेवा करी तो उणरी सेवा सूं प्रसन्न होयर गुरु गोरखनाथ जी उणनै एक उज्ज्वल पुत्र सूं आशीर्वाद दियो। एक वरदान, वो पाताल लोक में गयो, वठै सूं वो राजा जनमेजय री आत्मा नै गूगल में छुपावण लागो कैयो जावै है कै उण बगत सांप भी उणरो पीछो कर रैया हा जद गोगा जी धरती माथै आया तो भी तक्षक सांप उणनै नीं छोड्यो। अर गूगल उणरै हाथ सूं छीन लीनो अर निगलग्यो। सौभाग्य सूं, एक जवान आदमी वठै प्रकाशन (सफाई) रो काम कर रियो हो जद उणनै देख्यो कै सांप साधु रै हाथ सूं कीं निगलग्यो है, तो उणनै झाड़ू री छड़ी सूं सांप माथै हमलो कर दियो। , जिणरै कारण गूगल तक्षक रै मुंडा सूं नीचै पड़ग्यो अर उक्त जवान नै वरदान दियो कै इण गूगल सूं पैदा होवण आळो टाबर एक घणो निपुण आदमी होसी जिणरा भजन थै गावोला। गुरु गोरखनाथ जी गायब हो गये। तक्षक नाग भी निराश हुय'र पाताल लोक मांय पाछो आयो, इण भांत राजा जन्मेजय गोगाजी रै नांव सूं प्रसिद्ध हुया।