Kedia Sati: Sri Ked Bhawani (Ked)
Kedia Sati: Sri Ked Bhawani (Ked) केडिया सती : श्री केड भवानी (केड)
SATI DEVIYON KI JAI
Marwari Pathshala
4/27/20241 min read
केडिया सती : श्री केड भवानी (केड)
अग्रोहा के अगमपालजी के पुत्र मनगोपाल के यहां एक पुत्र ने जन्म लिया जिनका नाम मुंडल जी रखा गया | मुंडल जी इतने गुणवान थे कि मन्डाल ग्राम के राजा भी उनका सम्मान करते थे | मुंडाल जी जब विवाह योग्य होने पर उनका विवाह खेमी बाई से हुआ । खेमी बाई भी अपना पत्नी धर्म निभाने लगी | विवाह के ४ वर्ष होने पर भी जब संतान प्राप्ति नहीं हुई, तब खेमी बाई ने मुंडल जी को दूसरा विवाह करने का सुझाव दिया । मुंडल जी का दूसरा विवाह तोली बाई के साथ हुआ |
कुछ समय बाद जब संतान प्राप्ति नहीं हुई तब, खेमी एवं तोली बाई के कहने पर मुंडल जी ने ठुकरी बाई से तीसरा विवाह किया। लेकिन इस बार भी जब संतान प्राप्ति नहीं हुई तब तीनों सेठानीयों ने चौथा विवाह करने का प्रस्ताव रखा ।
मुंडल जी का चौथा विवाह संतोखी बाई से हुआ । चारों सेठानीयां अपना पत्नी धर्म मिलजुल कर निभाने लगी | संतान प्राप्ति नहीं हुई, तब सेहल ब्राह्मणों के कहने पर संतान प्राप्ति यज्ञ कराया गया | सबने मिलकर कुलदेवी श्री लाम्बी माता से प्रार्थना करते हुए संतान प्राप्ति की कामना की।
कुछ समय पश्चात खेमी बाई ने एक पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम सोमराज रखा | सबने मिलकर कुलदेवी श्री लाम्बी माता कि रात जगाकर, कुलदेवी का धन्यवाद किया | इसी तरह कुछ समय बाद एक कन्या ने जन्म लिया जिनका नाम राधा रखा गया । चार पनियां पाकर एवं दो संतानें पाकर वह अपने आप को बहुत ही सौभाग्यशाली मानने लगे ।
एक दिन मुंडल जी ने अपने अंतिम श्वास लिया | सम्वत ११३७ मावस को चारों दादी सती हुई और मन्डाल ग्राम मे चारों की पूजा होने लगी ।
मन्डाल गाँव के लोग कुछ समय बाद केड ग्राम मे बसने आते हैं। चारो सतियो का
मण्ड का ईट के साथ उन्होंने भूल से ब्राम्हनी माता का भी ईट ले आया ।
केड ग्राम मे चारो सतियो का मण्ड स्थापित हुआ और सोमराज जी के वंशज केडिया कहलाने लगे ।