साच न बूढो होय, साच अमर संसार में। केतो ढाबे कोय, ओ सेवट प्रगटै उदै।।

साच न बूढो होय, साच अमर संसार में। केतो ढाबे कोय, ओ सेवट प्रगटै उदै।।

MARWARI KAHAWATE

MARWARI PATHSHALA

10/27/20241 min read

साच न बूढो होय, साच अमर संसार में।
केतो ढाबे कोय, ओ सेवट प्रगटै उदै।।

‘सत्य कभी बूढा नहीं होता, सत्य तो संसार में अमर है। भले ही कोई सत्य कोछिपाने की कितनी ही कोशिशें क्यों न करे, आखिर तो वह प्रकट होकर ही रहताहै।’

एक गधा जंगल में विचरण कर रहा था कि उसे एक सिंह की खाल पड़ी मिल गई। गधे ने सोचा कि यदि मैं यह खाल ओढ कर सिंह बन जाऊं तो फिर मुझे किसी हिंसक जानवर का डर नहीं रहेगा। फिर तो मैं निर्भय होकर बडे ठाठ से रह सकूंगा। यों सोचकर गधे ने वह खाल अच्छी तरह से ओढ ली। खाल ओढने के बाद उसने सोचा कि आखिर मैं खाल ओढने के बाद दिखता कैसा हूं? वह पानी के नाले के पास गया और उसमें उसने अपनी छाया देखी। वह सहसा अपने को पहचान भी न सका। अब तो वह बड़े ठाठ के साथ जंगल में घूमने-फिरने लगा। जंगल के सारे जानवर उससे डरने लगे। कुछ ही दिनों में गधा मोटा-ताजा हो गया। गधे का हौसला बढ़ चुका था। उसने सारे जानवरों को इकठ्ठा किया और उनका राजा बन गया। नये राजा ने हुक्म दे दिया कि कोई जानवर किसी दूसरे जानवर को नहीं मारे। यदि किसी ने राजा के हुक्म नहीं माना तो उसे जान से मार दिया जाएगा। राजा का यह हुममांसाहारी जानवरों के लिए पूरी मुसीबत बन गया। मांस न खाने के कारण वे दिन-दिन घुलने लगे। एक दिन संयोग से एक गीदड़ ने नये राजा को घास चरते देख लिया। यह देखकर गीदड़ जान गया कि नया राजा सिंह तो बिलकुल ही नहीं है।उसने असली सिंह के पास जाकर नये राजा का रहस्य खोला, लेकिन असली सिंह की फिर भी हिम्मत नहीं हुई कि वह नये राजा का मुकाबला करे। इससे गीदड़ निराश तो हुआ, लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। अब वह किसी प्रकार नये राजा की पोल।खोलने की ताक में रहने लगा। नये राजा के पग-चिह्न देखकर गीदड़ जान गया कि यह तो निरा गधा हैं। अब उसने उसकी पोल खोलने का तय कर लिया। एक दिन जब पूरा दरबार लगा हुआ था, तो गीदड़ ने एक मोटी-ताजी गधी लाकर दरबार में खड़ी कर दी। जेठ का महीना था। थोडी देर तो गधी दरबार में चुपचाप खड़ी रही, लेकिन फिर वह दरबार का अदब-कायदा भूल गई और चीपों-चीपों करने लगी। अब नये राजा से भी नहीं रहा गया, वह भी ऊंचा मुंह करके सप्तम स्वर में चीपों-चींपो करने लगा। गीदड़ ने लपक कर राजा के बदन पर सिंह की खाल उतार ली। अब राजा अपने असली रूप में दिखलाई पडऩे लगा। सारे मांसाहारी जीव क्रोधित तो थे ही, उन्होने गधे की बोटी-बोटी नोंच डाली।