बुध बळ नको विवेक, सबळा नर निबळा सही। ह्वै बुध बळ ज्यां हेक, निबळा सबळा नाथिया।।
बुध बळ नको विवेक, सबळा नर निबळा सही। ह्वै बुध बळ ज्यां हेक, निबळा सबळा नाथिया।।
MARWARI KAHAWATE
MARWARI PATHSHALA
10/27/20241 min read
बुध बळ नको विवेक, सबळा नर निबळा सही।
ह्वै बुध बळ ज्यां हेक, निबळा सबळा नाथिया।।
यदि किसी में बुद्धि और विवेक नहीं है तो वह बलवान होते हुए भी निर्बल है।
लेकिन जिसमें एक बुद्धि बल है, वह निर्बल होते हुए भी बलवान है।
कहानी - एक गीदड़ और गीदड़ी पानी पीने के लिए तालाब पर गए। वे दोनों ही बहुतप्यासे थे, लेकिन तालाब के किनारें सिंह बैठा था। सिंह को देखकर दोनों ही ठिठकगए, योंकि सिंह उन दोनों को अपना भोजन बना सकता था। अत पानी पीने कीवे कोई तरकीब सोचने लगे। सोचते सोचते उन्हें एक तरकीब सूझी और वे दोनोंसिंह के पास गए। सियारी ने सिंह से कहा कि जेठजी, आप हमारा न्याय कर दीजिएहमारे तीन बच्चे है सो दो बच्चे में रखना चाहती हूं और एक बच्चा इसे देना चाहतीहूं। लेकिन यह दो बच्चे स्वयं लेना चाहता है और एक मुझे देना चाहता है। भलाआप ही बताइए कि मैं एक बच्चा कैसे ले लूं? मैंने ही उन्हें जन्म दिया है, मैंने हीउन्हें पाला पोसा है। उधर गीदड़ ने कहा कि मैं तीनों बच्चों को यहीं ले आती हूं,जेठजी जैसा उचित समझै न्याय कर दें। यों कहकर सियारी पानी पीकर चलती बनी।सिंह ने सोचा कि आज का दिन बड़ा अच्छा है। सियारी तीनों बच्चों को ले आएतो पूरा कलेजा बन जाएगा। लेकिन बहुत देर हो गई। सियारी बच्चों को लेकर नहींआई। सिंह उसका इंतजार करते करते थक गया। आखिर सियार ने सिंह से कहाकि हुजुर वह कुलटा अभी तक नहीं लौटी है। जरूरी उसकी नीयत में फरक हैं।वह स्वयं दो बच्चे लेना चाहती है। मैं अभी उसे घसीट कर लाता हूं। यों कहकरसियार भी पानी पीकर चलता बना। कुद देर तक तो सिंघ वहीं प्रतीक्षा करता रहा,लेकिन जब उसे भूख अधिक सताने लगी तो सियार सियारी का न्याय करने के लिएवह उनकी घुरी पर स्वयं गया और उसने पुकार कर गीदड़ से कहा कि अपने बच्चोंको लेकर जल्दी बाहर आ जाओ, तुहारा न्याय कर दूं। मैं तुम दोनों का इतनी देरसे इंतजार करता रहा, लेकिन तुम आये ही नहीं। इसलिए मैं ही चला आया। कलको तुम कहोगे कि मैंने तुहारा न्याय नहीं किया। सिंह की बात सुनकर सियारी नेअंदर से कहा कि जेठजी, आपने यहां आने की तकलीफ यों उठाई? हम दोनों नेतो आपस में ही निर्णय ले लिया है। यह कहता है कि मैं दो बच्चे लूंगा, सो याकरूं, दो बच्चे इसे दे दूंगी, मैं एक ही रख लूंगी। सियारी की बात सुनकर सिंह अपनासा मुंह लेकर चला गया।