गुणवाळो संपति लहै, लहै न गुण बिन कोय। काढै नीर पताळ सूं, जे गुण घट में होय।।

गुणवाळो संपति लहै, लहै न गुण बिन कोय। काढै नीर पताळ सूं, जे गुण घट में होय।।

MARWARI KAHAWATE

MARWARI PATHSHALA

10/27/20241 min read

गुणवाळो संपति लहै, लहै न गुण बिन कोय।
काढै नीर पताळ सूं, जे गुण घट में होय।।

जो गुणवाला होता है, जिसमें गुण होता है, वहीं संपति प्राप्त करता है। गुण के बिना कोई संपति नहीं ले सकता। यदि मनुष्य में गुण हो तो वह पाताल से भी पानी निकाल लेता है।

एक राजा के यहां गंगू नाम का भांड था। एक दिन राजा ने कहा कि गंगू। तुम्हारे स्वांग अब पुराने पड़ गए हैं। अब तो हम तुम्हें तभी इनाम देंगे, जब स्वांग भर कर आने पर तुम्हें पहचान नहीं सकेंगे। दरबार के दो बड़े धनवान सेठों ने भी राजा की बात का समर्थन किया कि हां, तुम्हारे सब स्वांग पुराने पड़ चुके हैं। जब राजा की ओर से सहायता इनाम बंद हो गए तो गंगू के घर में फाके पडऩे लगे। तब एक दिन गंगू ने अपने लडक़ों से कहा कि मैं परदेश जा रहा हूं। तुम लोग पीछे मुझे मृत घोषित कर देना और मेरी अरथी श्मशान ले जाकर जला देना। लडक़ों ने वैसा ही किया और सबने जान लिया कि गंगू मर गया है। कई दिनों बाद एक दिन गंगू अपने गांव लौट आया। रात को वह शंकर भगवान के उस मंदिर में गया, जहां एक पंडिताइन पूजा किया करती थी और जहां राजा व वे दोनों सेठ भी दर्शन करने के लिए आया करते थे। जब गंगू वहां पहुंचा तो वह शंकर भगवान का स्वांग बनाये हुए था और बैल पर चढा हुआ था। पंडिताइन ने उसको देखा तो समझा कि साक्षात् भगवान शंकर ही प्रकट हुए हैं। अतः उसने भक्तिपूर्वक नमस्कार किया। शंकर रूपी गंगू संतुष्ट हो गया तो पंडिताइन ने कहा कि भगवान। मुझे अब स्वर्ग में स्थान दीजिए। तब गंगू ने कहा कि आजकल स्वर्ग की द्वारपाल गंगूभांड है और स्वर्ग की चाबी तो स्वर्ग में सहज ही प्रवेश पा सकोगी। तब पंडिताइन ने पूछा कि भगवान उसे मैं प्रसन्न कैसे करूं, वह तो यहां धरती पर है नही? गंगू ने कहाकि सवेरे ही तुम अपना आधा धन तो गंगू के लडक़ों को दे देना और बाकी आधा भूखे नंगों बांट देना। आज के आठवें दिन में स्वर्गलोक जाऊंगा और तुहें भी वहां पहुंचा दूंगा । यह कहकर शंकर रूपी गंगू चला गया। सवेरा होते ही पंडिताइन ने वही किया। जब उसे अपना धन बांटते देखा तो सेठ ने पूछा कि या बात है? तब पंडिताइन ने कहा कि रात को भगवान शंकर आए थे और उन्होंने स्वर्ग-प्राप्ति के लिए उपाय बतलाया है। सेठ ने भी स्वर्ग जाने की इच्छा प्रकट की तो पंडिताइन ने कहा कि आज रात वे फिर दर्शन देंगे तो पूछेगी । रात को गंगू उसी वेष में फिर आया और सेठ के लिए भी वही उपाय बतला गया। दूसरे दिन सेठ ने भी अपना सारा धन उसी प्रकार लुटा दिया। तीसरे दिन दूसरे सेठ ने भी आधा धन गंगू के लडक़ों को और आधा धन गरीबों में बांट दिया।

सेठों की देखा-देखी राजा ने भी आधा धन गंगू के लडक़ों को हदे दिया और आधा गरीबों में बांट दिया। जिस रात को स्वर्ग में जाना था, उस रात को गंगू उसी वेष में आया। चारों उसकी प्रतीक्षा कर ही रहे थे। उसने आदेश दिया कि एकलंगोटी के सिवाय शरीर पर कोई वस्त्र न रखो और आंखों पर पटटी बांध लो। स्वर्ग से पहले नरक आएगा, जो कदाचित् उसकी विभिषिकाओं से सिहर कर वहीं गिर पड़े तो फिर वहीं के हो जाओगे। स्वर्ग का मार्ग बड़ा बीहड़ है। कांटों के चुभने से कोई सीत्कारभी कर देगा, तो वह वहीं रह जाएगा। तब पंडिताइन ने गंगू के कहने से बैल की पूंछपकड़ ली और अन्य तीनों ने एक दूसरे का हाथ पकड़ कर पंडिताइन को पकड़ लिया।अब चारों जने बैल के लटके हुए से चलने लगे। गंगू उन्हें जंगल में ले गया और रातभर घुमाता रहा। कंटीले झाड़ों से उलझ-उलझ कर उनके शरीर लहूलुहान हो गए। जबसवेरा होने को आया तो नगर के चौराहे पर लाकर गंगू ने उन चारों से कहा कि अब स्वर्ग का दरवाजा आ गया है। मैं गंगू को बुलाकर लाता हूं तुम सब यहीं ठहरो। यों कहकर वह तो चलता बना। इधर सवेरा होने लगा और लोग इधर-उधर आने जाने लगे। जो भी इन्हें देखता, चकित होकर कहता कि यह या तमाशा है? आखिर गंगूजब स्वर्ग की चाबी लेकर नहीं आया और बहुत आदमी वहां जमा हो गए, तबपंडिताइन ने बाकी तीनों से कहा कि आंखों की पटटी उतार कर देखना चाहिए किआखिर बात या है? पटटी खोलने पर उन्होंने अपने को चौराहे पर लोगों से घिरा देखातो अवाक् रह गए। वे झेंपते हुए किसी प्रकार अपने अपने स्थानों को गए। घर जाकर सबने सोचा कि बुरे ठगे गए। लेकिन अब या हो सकता? कुछ ही दिनों बाद गंगू ने सेठ के पास जाकर सलाम किया तो सेठ ने आश्चर्य में भरकर पूछा कि अरे गंगू, तू तो मर गया था न? तब गंगू ने कहा कि मरता नहीं तो स्वर्ग की चाबी कैसे हाथ लगती? सेठ को काटो तो खून नहीं। फिर वह दूसरे सेठ के पास गया और फिर राजा के पास। उसने राजा से कहा कि सरकार, अब मुझे इनाम दिलवाइए। क्योंकि, आपने वचन दिया था कि जब तुझे नहीं पहचानेंगे तो इनाम देंगे। राजा ने कहा कि अब हमारे पास इनाम देने के लिए रह ही क्या गया है? गंगू ने कहा कि हुजूर, जो आधा धन गरीबों में बंट गया है वह तो गया और शेष आध आपका और दोनों सेठों का मेरे घर सुरक्षित रखा है,वह सब आप अपना-अपना ले लें, लेकिन मुझे मेरा इनाम अवश्य दिलवा दें।