दिन दस दौलत पाय कर, गरयो कहा गंवार। जोड़त लाग्या बरस सौ, जात न लागै वार।।

दिन दस दौलत पाय कर, गरयो कहा गंवार। जोड़त लाग्या बरस सौ, जात न लागै वार।।

MARWARI KAHAWATE

MARWARI PATHSHALA

10/27/20241 min read

दिन दस दौलत पाय कर, गरयो कहा गंवार।
जोड़त लाग्या बरस सौ, जात न लागै वार।।

दस दिन दौलत प्राप्त कर अहंकार क्यों कर रहा है मूर्ख! जिस दौलत को जोडऩे में सौ बरस भी लगे हो, उसे जाते हुए एक दिन भी नहीं लगता।

एक राजा के पास अपार धन-संपति थी। वह धन-संपति एकत्र करना जानता था, लेकिन खर्च करना बिलकुल भी नहीं चाहता था। वह रात-दिन धन-वैभव के नशे में चूर रहता था। उसकी धन की लिप्सा, धन का मोह इतना बढ गया कि साधु-संतों का सत्कार करना भी उसने छोड़ दिया। एक दिन महल के द्वार पर दो साधु आए। उन्होंने अपने आगमन की बात राजा को कहलाई, लेकिन धन वैभव में चूर राजा ने कोई ध्यान नहीं दिया। बात को इस कान से सुनकर उस कान से निकाल दी। द्वारपाल ने जब यह बात लौटकर दोनों साधुओं को सुनाई तो वे समझ गए कि यह राजा अहंकार में डूबा हुआ है तब उन साधुओं ने राजा को द्वारपाल के जरिये संदेश भिजवाया कि हम तो आपके पास यह कहने आए थे कि आज से आठवें दिन आपकी मृत्यु हो जाएगी। यद्यपि तुमने इस जन्म से कोई अच्छा कार्य नहीं किया है, तथापि पूर्व जन्मों के पुण्य प्रभाव से तुम विष्णुलोक को जाओगे। वहां तुमको विष्णु भगवान के दर्शन होंगे। चूंकि तुम विष्णु-लोक को जाने वाले हो तो हमारा भी एक काम कर देना। तुम्हें हम एक सूई दे रहे हैं सो यह सूई तुम विष्णु भुगवान को दे देना। बस, हमें तुमसे और कोई कार्य नहीं है। द्वारपाल ने साधुओं का संदेश तुरंत राजा तक पहुंचा दिया और उसे वह सूई भी दे दी। पहले तो राजा ने कोई खास ध्यान नहीं दिया और लापरवाही से कहा कि दे देंगे। लेकिन जब वह सतर्क सजग हुआ तो सोचने लगा कि सूई को मैं विष्णुलोक को कैसे ले जाऊंगा? एक बार तो उसने सोचा कि सूई को मैं अपनी जांघ में घुसेड़ लूंगा, लेकिन फिर ध्यान आया कि दाह क्रिया के समय तो कुछ भस्म हो जाएगा। यह सूई भी। फिर मैं इसे विष्णुलोक कैसे ले जाऊंगा? राजा को कोई उपाय नहीं सूझा तो वह व्याकुल हो उठा। साथ ही इस बात से घबराया कि हफ्ते भर बाद मैं मर जाऊंगा। अब वह उठकर दौड़ा-दौड़ा उन साधुओं के पास आया और उनसे सूई को विष्णुलोक तक ले जा सकने में अपनी असमर्थता प्रकट की। इस पर साधुओं ने कहा कि जब तुम एक सूंई भी अपने साथ नहीं ले जा सकते, तब तुम्हारा यह अतुलित ऐश्वर्य या तुम्हारे साथ जा सकेगा, जिसके बल पर तुम इतना घमंड करते हो। साधुओं की बात सुन कर राजा की आंखें खुल गई और वह साधुओं के पैरों पर गिर पड़ा।