Marwari Muhavare ( श-ह )
Marwari Muhavare ( श-ह ) - Marwari proverbs (Muhavare) that reflect the wisdom, humor, and values of Marwari culture
MARWARI MUHAVARE
Marwari Pathshala
10/20/20241 min read
श-ह
1. "सरलायो छूंदरो, बद्दां बंध्यो जाट । मदमाती गूजरी, तीनों वारां बाट ।।"
- Meaning: The shepherd holds his simple cloth, and the Jat has his turban, while the carefree milkmaid rules over three villages.
- Usage: This proverb illustrates that while people of different backgrounds have their own roles, sometimes those who seem carefree or unburdened end up with significant influence or power.
2. "साबत रैसी सर तो घणाई बससीं घर"
- Meaning: A united head leads to a prosperous household.
- Usage: It implies that harmony, unity, and leadership within a family or group lead to prosperity and stability.
3. "सात घर तो डाकण भी छोड दिया करै है"
- Meaning: Even a witch spares seven households.
- Usage: This proverb suggests that everyone, even those with a bad reputation, should have some limits or boundaries.
4. "सावण भलो सूर'यो भादुड़ो पिरवाय, आसोजां मैं पछवा चाली गाडा भर भर ल्याव"
- Meaning: In the month of Sawan, the sun is gentle, in Bhadra it brings comfort, and in Asauj, the winds help bring cartloads of harvest.
- Usage: This reflects the cycle of seasons in agriculture and the benefits each brings. It’s used to signify that patience and timing lead to fruitful results.
5. "हाँसी-हाँसी में हो-ज्यासी खाँसी"
- Meaning: While laughing, a cough can arise.
- Usage: This proverb is used to show that sometimes unexpected problems can arise in moments of joy or during seemingly harmless situations.
These proverbs reflect the Marwari culture’s wisdom in relationships, nature, patience, and the acceptance of both life’s predictability and unpredictability.
शुक्रवार की बादली, रही शनिचर छाय। डंक कहे है, भडली बरस्यां बिना न जाय॥ हिंदी – शुक्रवार को आकाश पर बने बादल यदि शनिवार तक रहेँ तो वर्षा अवश्य होती है।
संख अर खीर भर्यो।
संजोग पीवतां के बार लागै।
संदेसां बिजण अर हाथ हाथां खेती।
संपत हुवै तो घर, नींतर भलो परदेस।
संवारता बार लागै, बिगाड़तां कोनी लागै। हिंदी – काम बनाने मेँ समय लगता है बिगाड़ने मेँ नहीँ।
संवारै रो गाजियो ऐलौ नहीँ जाय | हिंदी – सुबह मेघ–गर्जन निश्चित रूप से वर्षा का संकेत है।
सक्करखोरा नै सक्कखोरो सो कोम की ऊंलाई खा कर मिल ज्याय।
सगलै गुण की बूज है। हिंदी– गुणी का हर जगह सम्मान होता है।
सगलो गांव लट्टै, कोई घालै, कोई नट्टै।
सगो कीजे जाण कर, पाणी पीजे छाण कर।
सग्गो समरथ कीजिये, जद-तद आवै जाव।
सत मत खोओ सूरमा, सत खोयं पत जाय। सत की बांधी लिच्छमी, फेर मिलै गी आय॥
सदा दिवाली सन्त कै, आठो पहर आनन्द।
सदा न जुग जीवणा, सदा न काला केस। हिंदी – संसार मेँ हमेशा कोई नहीँ रहता, इसी प्रकार यौवन भी साथ छोड़ देता है।
सदा न बरैस बादली, सदा न सावण होय।
सदा ही इकासर दिन कोनी रैवे।
सपूत की कमाई मैँ सै को सीर।
सपूत तो पाड़ोसी को बी चोखो।
सब आप आपकै भाग की खाय है।
सब आप आपको काढ्यो पाणी पीवै है।
सब कोई झुकतै पालड़ै का सीरी है।
सबकी मय्या सांझ।
सबसूं रिलमिल चालिये, नदी नाव संजोग।
समझणहार सुजाण, नर मोसर चूकै नहीं। ओसर की अहसाण, रहे घण दिन राजिया॥
समदर को के सूकै?
समै दिवाली पोलकर न्हाण।
सरलायो छूंदरो, बद्दां बंध्यो जाट । मदमाती गूजरी, तीनों वारां बाट ।।
सरीर कै रोगी की दवा है, मन कै रोगी की कोनी।
सलाम तांई मियां नै क्यूं रूसाणो।
साँच कही थी मावडी, झूठ कह था लोग। खारी लागी मावडी, मीठा लाग्या लोग॥ हिंदी – माता का सच भी झूठ नजर आया जबकि लोग ही झूठ बोल रहे थे, क्योँकि लोग मधुर बोल रहे थे तथा माता कटु बोल रही थी।
सांई हाथ करतणी, राखैगो उनमान।
सांकड़ी गली अर मारणां बलद।
सांगर फोग थली को मेवो।
सांच कहै थी मावड़ी, झूठ कहै था लोग। खारी लागी मावड़ी, मीठा लाग्या लोग॥
सांच नै आंच कोन्या।
सांची कह्यां झांल उठै।
सांप की रांद झाडूलो काटै।
सांप कै चीखलै को बडो अर के छोटो?
सांप कै मांवसियां की के साख | हिंदी – दुष्ट का क्या भरोसा?
सांप कै मांवसियां को के साख?
सांप को खोयोड़ो बीछ्यां सैं के डरै?
सांप चालती मोत है।
सांप भी मर जाय और लाठी भी न टूटै।
सांप सगलै टेढो मेढो चालै पण बिल में बड़ै जद सीदो हो ज्याय।
सांप सलीट्या सदा ई देख्या, इजगर बाबो अबकै।
सांप, गोयरा, डेडरा, कीड़ी–मकोड़ी जाण। दर छोड़ै बाहर भागे, नहीँ मेह की हाण॥ हिंदी – यदि मेँढक, चीँटी, साँप आदि अपने–अपने स्थान पर जाने लगेँ तो भारी वर्षा की सम्भावना होती है।
सांप-चकचूंदर हाली हो रही है।
सांपां का ब्या में जीभां की लपालप।
सांपां कै किसा साख?
सांपां कै डर गूगो ध्यावै।
सांस जब लग आस।
सांसी कै क्यांको दिवालो?
सांसी साह सरावगी, श्रीमाल सुनार। ये सस्सा, पांचूं बूरा, पहले करो विचार॥
साची कही, भाठा की दई।
साजा बाजा केस, गोड बंगाला देस।
साठी बुध नाठी।
सात बार, नो तिंह्वार।
साता मामा को भाणजो भूख्यो रैज्या।
सातों गैला मोकला तेरै जच्चै जठे जा।
सात्यूं घर तो डाकण भी छोड दिया करै है ।
साधवां कै कसो सुवाद, आवण दे मलाई सुदां ई।
साधां की पावली ई चोखी।
साधू को धन सीर को।
सापुरसां का जीवणां थोड़ा ही भला।
साबत रैसी सर तो घणाई बससीं घर।
सामर पड्यो सो लूण।
सारी दुनी ओगणी है नै आप आपरै पड़दै भीतर उघाड़ी है।
सारी रामायण पढ़ ली, सीता कुण की भू?
सालगजी का सालगजी, गोफणियूं का गोफाणियूं।
साली छोड़ सासुओं सै ई मसकरी।
सालै बिना क्यां को सासरो?
सावण का अंधा नै हर्यो ई हर्यो दीखै।
सावण का आना नै हरयो ई हरयो दीखै ।
सावण का पंचक गलै, नदी बहन्ता नीर।
सावण की छा भूतां नै, कातिक की छा पूतां नै।
सावण छाछ न घालती, भर बैसाखां दूध। गरज दिवानी गुजरी, घर में मांदो पूत॥
सावण पहली पंचमी, जे बाजै बहु वाय। काल पड़ै सब देश में, मिनख मिनख नै खाय॥
सावण बद एकादशी, जितनी रोहिणी होय। वितणूं समय विचारियो, जै कोइ पंडित होय॥
सावण भलो सूर'यो भादुड़ो पिरवाय, आसोजां मैं पछवा चाली गाडा भर भर ल्याव ।
सावण में तो सूर्यो चालै, भादूड़ै पुरवाई। आस्योजां में नाडा टांकण, भरभर गाडा ल्याई॥
सावल करतां कावल पड़ै है।
सास बिना कांइ सासरो?
सासरै को बास, आपकै कुल को नास।
सासरै खटावै कोनी, पीर में सुहावै कोनी।
सासरौ सुख आसरौ, जे ढबै दिन चार । जे बसै दिन दस बीस, हाथ में खुरपी माथै भार ।।
सासरौ सुख बासरौ, चार दिनां को आसरौ, जै रवे मास दो मास, देस्याँ खुरपी खुदास्याँ घास ।
सासू का भुवां नै जीकार आच्छया कोनी।
सासू जाणै करूं कलेवा, भू काढ़ै गैल का केवा।
सासू बोली—बीनणी ग्यारस करसी के? बीनणी बोली—मैं तो टाबर हूँ।
सासू मरगी कटगी बेड़ी, भू चढ़गी हरकी पेड़ी।
सिकार की बखत कुतिया हंगाई।
सिर को बोझ पगां नै भारी।
सिर चढ़ाई गादड़ी गाँव ई फूंकै लागी। हिंदी – निकृष्ट को मुँह लगाने पर हानिकारक हो जाता है।
सिर पर भींटको, तम्बू में बड़बादे।
सिर बड़ो सपूत को, पग बड़ा कपूत का।
सिर भारी सरदार का, बग भारी मुरदारा का।
सिरफोड़ै को मुंडफोडो भायलो।
सिरी को टाबर ताबड़ै बाल्योड़ो ही चोखो।
सिलारै नै सिरलारो कोनी देख सकै।
सिव सिव रटै, संकट कटै।
सींत को चन्नण घस रे लाल्या, तूं भी घस, तेरा घरकां नै बुलाल्या।
सींत को माल मसकरा खाय।
सीखड़ल्यां घर ऊजड़ै, सीखलड़ल्यां घर होय।
सीतला माता! मन्ने घोड़ो दिये, कह, मै ई गधे पर चढूं हूं।
सीधी आंगलिया घी कोन्या निकलै।
सीधै पर दो लदै।
सीर की होली फूंकण की ही होय है।
सीर सगाई चाकरी, सुखीदावै को काम।
सीली तो सपूती हो, सात पूत की मा हो। कह, रैणदे, तेरी आसींस नै, नौ तो पेली ई है।
सीसा मसोना सुघड़ नर, मंदरा की बोलन्त। कांसी कुत्ती कुभारजा, बिन छेड्या कूकन्त॥
सुई सुहागो सापुरुष, सांठै ही सांठै।
सुक्करवारी बादली, रही सनीसर छाय। सहदेव कहै हे भड़ली, बिन बरसी नहिं जाय॥
सुख की तो आधी भली, दुख की भली न एक।
सुख सोवै कुम्हार की चोर न मटिया लेय। अथवा चोर न गधिया लेय।
सुधर्यो काज बिगड़यो नांही, घी ढुल्यो मूंगा मांही।
सुरग को दरवाजो कुण देख्यो है?
सुलफो सट्टो संखियो, सुलफो और सराब। सस्सा पांचू नेठ है, खोवै मुंह की आब॥
सुसरो बैद कुठोड़ खाई।
सूखै घसीजै हळबांणी, आलै घसीजै चवू। सांवण घसीजै डीकरी, काती घसीजै बहू ।
सूत्यां की तो पाडा ही जणै।
सूदी छिपकली घणा जिनावर खाय।
सून मांथै बामण आछ्यो कोन्या।
सूनां खेत सुलाखणा, हिरणां चर चर जाय।
सूम कै घर में धूम क्यांकी?
सूरज कुंड अर चांद जलेरी, टूटा बीबा भरगी डेरी।
सूरज कुंड और चन्द्र जलेरी। टूट्या टीबा भरगी डेरी॥ हिंदी – चन्द्रमा के चारोँ ओर जलेरी तथा सूरज के चारोँ ओर कुण्ड होने पर भारी वर्षा की सम्भावना होती है।
सूरदासजी ल्यो खांड अर घी, कह सुणावै है और बापां नै, पटक तो को देना।
सूरदासजी ल्यो मोठ, कह, और मर गा के?
सेर की हांडी में सवा सेर कोनी खटावै।
सेर नै सवा सेर मिल ज्याय।
सेल घमोड़ो सो सहै, जो जागीरी जाय।
सेह कै ही मूंडै दांत होय तो दिनमें ई ना चरै।
सै भूखा उठै है, भूखा सोवै कोन्या।
सो झख्या अर एक लिख्या।
सो दिन चोर का, एक दिन साहूकार को।
सो धोती अर एक गोती।
सो नकटां में एक नाक हालो ही नक्कू बाजै।
सोक तो काचै चून की बी बूरी।
सोक नै सोक कोनी सुहावै।
सोड़ गैल पग पसारो।
सोनी की बेटी संहगी सरूप। बाणिया की बेटी महंगी करूप॥
सोनूं गयो करण कै साथ।
सोनै कै काट कोन्या लागै । हिंदी – सज्जन पुरुषोँ पर कलंक नहीँ लगाया जा सकता।
सोनै कै थाल में तांबै की मेख।
सोमां शुक्रां सुरगुरां जे चन्दा ऊगन्त। डंक कहे हे भड्डली, जल थल एक करन्त॥
हतकार की रोटी चौवटे ढकार। हिंदी – मुफ्त मेँ उपभोग करना तथा अहंकार का प्रदर्शन करना।
हथेळी मैं सिरस्यूं कोनी उगै ।
हर बड़ा क हिरणा बड़ा, सगुणा बड़ा क श्याम। अरजन रथ नै हांक दे, भली करै भगवान॥ हिंदी – यह माना जाता है कि हरिण जब बाँयी ओर आ जाये तो अपशकुन होता है। हरिणोँ के बाँयी ओर आने पर अर्जुन ने रथ रोक दिया परन्तु किसी ने कहा कि भगवान साथ होने पर कुछ भी अपशकुन नहीँ होता है।
हाँसी-हाँसी में हो-ज्यासी खाँसी ।
हांसी मैँ खांसी हो ज्याय | हिंदी – हँसी-मजाक मेँ लड़ाई हो जाती है।
हाकिमी गरमाई की, दुकनदारी नरमाई की हिंदी – अफसर को कड़क तथा दुकानदार को विनम्र रहना चाहिए।
हिल्योडो चोर गुलगुला खाय ।
होत की भाण, अणहोत को भाई । हिंदी – बहिन धनी को भाई बनाती है जबकि भाई विपत्ति मेँ भी साथ देता है।