Mira Bai: The Saint-Poetess of Devotion and Love for Lord Krishna (In Marwari)

Mira Bai, or Meera, is one of the most revered figures in Indian history, known for her deep devotion to Lord Krishna and her poetic compositions that transcend the boundaries of religion, caste, and time. Born around 1498 in Rajasthan, Mira Bai's life story and bhajans (devotional songs) have been immortalized as a symbol of unwavering love and dedication to God. Her spiritual journey and poetry continue to inspire countless devotees and admirers around the world.

HISTORICAL FIGURES

Marwari Pathshala

5/30/20241 min read

मीरा बाई: श्रीकृष्ण री भक्त अणे प्रेम री प्रतीक

परिचय

मीरा बाई, जिणे मीरा के नाम सौं भी जान्या जाय है, राजस्थान री एक ऐसी संत-कवयित्री रह्या जिण रो नाम आज भी श्रीकृष्ण री अनन्य भक्ति अणे प्रेम री मिसाल है। 1498 के आस-पास जन्मी मीरा बाई री गाथा अणे भजनां, जाति अणे धर्म री सीमां पार कर, अपणा भाव अणे भक्ति सौं लाखों ने प्रेरित करवा। मीरा री जिनगी अणे कविता आज भी ईश्वर प्रति अमर प्रेम अणे समर्पण री प्रेरणा दियो।

बालपन अणे पृष्ठभूमि

मीरा बाई रो जन्म मेरता री राठौड़ राजघराने में होयो। ऊ रतन सिंह राठौड़ री पुत्री रह्या अणे बचपन सौं ही श्रीकृष्ण प्रति विशेष प्रेम अणे लगाव राख्या। कथा अनुसार, बालपन में उन्हें एक संत सौं श्रीकृष्ण री मूर्ति मिली, जिणे ऊ अपना ईष्ट देव मान लिया। तब सौं मीरा श्रीकृष्ण ने आपणा पति अणे जीवन-संगी मानकर आपरी भक्ति शुरू करी।

राजमहल में विवाह अणे संघर्ष

मीरा बाई रो विवाह राणा भोजराज सौं होयो, जो मेवाड़ री राजा राणा सांगा रो पुत्र रह्या। पर मीरा बाई ने राजमहल री शानो-शौकत छोड़कर श्रीकृष्ण री भक्ति में लीन रहणो चुनियो। रोज-रोज अपणा भजना, साधु-संतां सौं मेलजोल अणे समाज री परंपराओं सौं अलग मीरा री साधना, राजघराने ने असह्य हो गई। मीरा ने कई दफे विष, कांटां री माला अणे सांप दिया गया, पर मीरा सदा श्रीकृष्ण री कृपा सौं बच ग्या, ई बात लोक कथां में प्रसिद्ध है।

मीरा बाई री भक्ति कविता

मीरा बाई आपरी गहरी भक्ति री भावना अणे प्रेम ने अपने भजनां में उकेरियो। उनके भजनां सरल पर मार्मिक रह्या, जिनमें भक्ति री शक्ति अणे सामाजिक बंधनां सौं संघर्ष साफ झलकतो है। मीरा री कविताएं आज भी भक्तजनां ने प्रेरित करवा:

1. श्रीकृष्ण प्रति प्रेम: मीरा री कविताएं श्रीकृष्ण प्रति असीम प्रेम अणे मिलण री प्यास से भरी रह्या।

- *“मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो न कोई।

जा के सिर मोर मुकुट, मेरो पति सोई।”*

2. सामाजिक बंधनां री अवहेलना: मीरा आपरी कविताओं में समाज री परंपराओं अणे बंधनां ने तोड़ती नजर आवे।

- *“संतों मत करियो आडंबर, मैं तो गिरधर की दासी।

क्या करूं सब जग झूठा, मैनें प्रीत लगाई श्याम रसिक से।”*

3. भक्ति आंदोलन रो प्रभाव: मीरा री भक्ति आंदोलन री विचारधारा, जिणमें जाति अणे लिंग री सीमा तोड़ी जावती है, उनके जीवन में साफ झलकी।

मीरा री कविताएं राजस्थान री मारवाड़ी, ब्रज भाषा अणे हिंदी में लिखी गई, जिन रो आमजन अणे विद्वानां सब सौं प्रेम करवा।

एक साध्वी री जिनगी

मीरा बाई ने राजमहल री विलासिता ने छोड़कर एक साध्वी री जिनगी जीनो चुनियो। ऊ श्रीकृष्ण री भक्ति में डूबी रही अणे मथुरा, वृंदावन, द्वारका जेसा तीर्थस्थलां पर गई। उनकी साधना अणे भक्ति यात्रा ने लाखों भक्तां ने आपरी ओर आकर्षित करयो।

अलौकिक घटनाएं अणे श्रीकृष्ण सौं मिलण री गाथा

मीरा बाई री जिनगी सौं जुड़ी कई अलौकिक कथाएं भी प्रसिद्ध है। कहा जाव है कि द्वारका री मंदिर में मीरा ने श्रीकृष्ण री मूर्ति में समा जावणो चुनियो अणे वहां सौं अंतर्ध्यान हो गई। ई कथा मीरा री श्रीकृष्ण प्रति असीम प्रेम अणे समर्पण रो प्रतीक है।

विरासत अणे सांस्कृतिक महत्व

मीरा बाई रो नाम केवल राजस्थान में नाय, बल्कि पूरे भारत में पूज्य है। उनकी भक्ति, प्रेम अणे सामाजिक बंधनां सौं संघर्ष आज भी प्रेरणा देवे। उनके भजन आज भी मंदिरां, भजन मंडली में गाये जावे अणे भक्तजनों में लोकप्रिय है।

मीरा बाई री जिनगी अणे कविता मानवता, भक्ति अणे प्रेम री शक्ति रो प्रतीक है। उनकी गाथा हमें ईश्वर प्रति सच्चा प्रेम अणे सामाजिक बंधनां सौं ऊपर उठणो सिखावणी देवे।

निष्कर्ष

मीरा बाई री प्रेम-भक्ति री यात्रा एक ऐसी गाथा है, जिणमें प्रेम, भक्ति अणे साहस रो संगम है। श्रीकृष्ण प्रति अनन्य प्रेम राखण वाली मीरा बाई आज भी भक्तजनों खातिर प्रेरणा रो स्रोत है। उनके भजन अणे गाथा हमें प्रेम, त्याग अणे समर्पण री सच्ची मिसाल दिखावे।

ई ब्लॉग मीरा बाई री जिनगी अणे भक्ति ने आपरी भाषा में समझावणी री एक कोशिश है। अगर और भी जानकारी जोड़े री जरुरत हो तो कहो।