Rungta/Khetan/Bhojan Sati: Shri Chavo Veeron Dadiji (Bagad)

Rungta/Khetan/Bhojan Sati: Shri Chavo Veeron Dadiji (Bagad) रूंगटा/खेतान/भोजान सती : श्री चावो वीरों दादीजी (बगड़)

SATI DEVIYON KI JAI

Marwari Pathshala

4/27/20241 min read

रूंगटा/खेतान/भोजान सती : श्री चावो वीरों दादीजी (बगड़)

चावो दादी का जन्म वि. सं. 1449, भादो सुदी छठ के दिन, हरियाणा के तिगड़ाना गाँव के सेठ श्री कालूरामजी के घर में हुआ था । उनका बचपन का नाम "चावली" था। चावो बाई के एक भाई भी थे, जिनका नाम वीरमल "वीरो" था ।

चावली बाई का विवाह राजस्थान के बगड़ निवासी सेठ श्री सत्यनारायण जी के ज्येष्ठ पुत्र श्री सूरजमल जी के साथ सम्पन्न हुआ था । श्री सूरजमल जी चावली बाई का मुकलावा करने अपने ससुराल जारहे थे। तब बीच रास्ते में घड़ेतियों (जो बागड़ को लूटने जारहे थे। उनसे युद्ध करने लगे । जन्म भूमि बागड़ की रक्षा करने को उन्होंने घड़ेती सिरदार को मारकर, घायल अवस्था में बागड़ लौट आये । बहुत घायल होने के कारण वह वीर गति को प्राप्त हुए।

इधर चावली बाई अपने पीहर मे थी, स्वप्न में उन्हें स्वयं माता पार्वती ने सब घटना क्रम बताया । और चावली बाई को सती होने की आज्ञा दी। चावो बाई अपने पीहर में बिना किसी को बताये बागड़ आगई। भादो सुदी के छठ के दिन, सूरजमल जी के साथ चावो बाई अग्नि में लीन होगई। जब यह बात वीरमल जी को ज्ञात हुई, बहन के बियोग से उन्होंने ने भी चिता के पास, अपना प्रानो का त्याग किया। वीरमलजी के घोड़े ने भी स्वामी के प्राण त्यागने पर अपनी सांस थामली ।

तब चावो बाई चतुर्भुज रूप में आकर, अपने मण्ड में उनके भाई वीरों और उनके घोड़े का भी चबूतरा बनाने का आज्ञा सूरजमल जी के भाइयो को दी।

रूंगटा, खेतान, भोजान उपनामो के लोग सूरजमल जी भाइयो के वंशज है, जो माँ को अपनी कुलदेवी मानते है।