Singhal Gotra Sati: Shri Harbi Dali Dadiji (Disnau)

Singhal Gotra Sati: Shri Harbi Dali Dadiji (Disnau) सिंघल गोत्र सती : श्री हरबी डाली दादीजी (दिसणाऊ)

SATI DEVIYON KI JAI

Marwari Pathshala

4/27/20241 min read

सिंघल गोत्र सती : श्री हरबी डाली दादीजी (दिसणाऊ)

हरबी बाई का जन्म वि. सं. 1460, ज्येष्ठ सुदी नवमी के दिन राजस्थान के सुजानगढ़ के गदौड़ा गांव में हुआ था।

हरबी बाई का विवाह वि. सं. 1476, बसंत पंचमी के दिन, फतेहपुर के जालुका (सिंघल गोत्र) में सम्पन्न हुआ था। वि. सं. 1477 कार्तिक महीने में हरबी बाई अपने मामाजी के बेटी के शादी में नवलगढ़ गयी हुई थी।

हरबी बाई के पति उनको वापस लाने नवलगढ़ जाराहे थे। हरबी बाई के सास ससुर ने उनके साथ एक ब्राम्हण को विश्वास पात्र बनाकर भेजा। घने जंगलो के बीच में आकर कुंवर जी का हीरे जौहर देखकर ब्राम्हण के मन में कपट आगया।

ब्राम्हण और कुंवर जी बीच युद्ध हुआ। छल से ब्राम्हण ने उनको मारकर, वही एक कैर के वृक्ष के नीचे दफनाकर, सारा माल खजाना लूट लिया। इतना करने के बाद भी उसका जी नहीं भरा, अब वह हरबी बाई को नवलगढ़ से लाकर बीच जंगल में लूटना चाहता था । जब ब्राम्हण नवलगढ़ पंहुचा, हरबी बाई ने उस ब्राम्हण पर अपने पति का हत्या का आरोप लगाया।

हरवी बाई के कहने पर सभी घर वाले उसी कैर के वृक्ष के पास आये । उस ब्राम्हण को अपने किये का पछतावा हुआ और उसने एक कुवे में कुदकर अपना जान देदिया।

वि. सं. 1477, कार्तिक शुक्ला चौदस के दिन उसी कैर के वृक्ष के नीचे हरबी बाई अपने मृत पति के साथ सती होगयी। वही भूमि आज दिसणाऊ धाम है।

हरबी माँ के इच्छा अनुसार, माँ की पूजा ब्राम्हणो द्वारा वर्जित है, और उनको पिले रंग के चीज भेट में नहीं चढाई जाती ।